लोक जन स्वास्थ्य में सहायक; सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा
स्वच्छता का अर्थ साफ सफाई गंदगी और कीटाणुओं से मुक्ति पाना है। यह शरीर और आस पास के वातावरण को साफ रखने का अभ्यास है। इसमें व्यक्तिगत स्वच्छता, सार्वजनिक स्वच्छता और पर्यावरणीय स्वच्छता को भी समाहित किया जाता है। कहते भी हैं कि”जिसका स्वच्छ रहे घर बार, खुशियों का रहता अंबार।।”
स्वच्छता को,देवत्व के निकट माना जाता है। यदि हम गंदगी के साथ रहते हैं तो हमारे घरों भोजन और पानी तक जीवाणु विषाणु और कीटाणु पहुंच जाते हैं। क्योंकि एक सुई की नोक पर हजारों जीवाणु रह सकते हैं,जो नंगी आंखों से भी नहीं दिखाई देते। मानव मलमूत्र, ५० से भी अधिक प्रकार के संक्रमणों का प्रमुख स्रोत माना जाता है,और लगभग ८०% बीमारियों का जन्मदाता होता है।
विश्व में खुले में शौच करने वाले लोगों में ज़्यादातर भारतीय हैं।इसको देखते हुए भारत सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान को एक जन आंदोलन बनाने का संकल्प लिया गया है। सर्वप्रथम 1985 में 7.0लाख शौचालयों का निर्माण पूरे भारत में कराया गया।इन शौचालयों के निर्माण पर ५००/-रुपए का अनुदान दिया गया।बाद में 1986 में केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम की शुरुआत हुई।इसके पश्चात वर्ष 1999 में खुले में शौच की प्रथा से मुक्ति के लिए माँग आधारित कार्यक्रम”सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान” को प्रारम्भ किया गया।तत्पश्चात 2012 में निर्मल भारत अभियान का शुभारंभ किया गया।जिसमें सामुदायिक दृष्टिकोण अपनाकर देश के सभी परिवारों तक,स्वच्छता सुविधाओं को पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया।इसके बाद 02 अक्टूबर 2014 से स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को अमल में लाया गया जिसमें समुदाय संचालित स्वच्छता कार्यक्रम चलाया गया।इस कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2019 तक पूरे भारत को खुले में शौच से मुक्त करना था।
अस्वच्छता और खुले में शौच करना मानव सुरक्षा और गरिमा में कमी लाती है अतः हमे गंदगी से दूर रहने की सदा कोशिश करनी चाहिए और खुले में शौच नहीं करना चाहिए,इससे हम स्वम् स्वस्थ्य रह सकते हैं और आम जन को भी कई प्रकार की बीमारियों से बचा सकते हैं। आम जन को बीमारियों से निजात दिलाने में स्वच्छता के सात घटकों की भूमिका महत्वपूर्ण है,जिससे हम सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान को अच्छी प्रकार से समझ पाने में समर्थ हो पायेंगे,तो आइये!एक एक कर के इन घटकों पर ध्यान केंद्रित करें।
1-मानव मल के सुरक्षित निपटान के बिना स्वच्छता अभियान संभव ही नहीं हो सकता।
2-कुढ़ा करकट को भी हटाए बगैर हम स्वच्छता की कल्पना नहीं कर सकते।
3-दूषित पानी के सुरक्षित निपटान के बिना आम स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।
4-स्कूल/आँगनवाड़ी शौचालयों की स्वच्छता के बिना बच्चों के स्वास्थ्य को कैसे सुरक्षित किया जा सकता है।
5-घर की स्वच्छता के बिना हम कैसे स्वस्थ रह सकते हैं।
6-व्यक्तिगत स्वच्छता के बिना भी स्वच्छता की बात करना बेमानी होगी।
7-अपशिष्ट प्रबंधन को बिना अमल में लाए, सम्पूर्ण स्वच्छता की आशा नहीं की जा सकती।
मित्रों,उक्त सात घटकों को अपनाकर हम सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान को सफलता के शिखर पर पहुँचा सकते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य लोगों को सुरक्षित शौचालयों की जरूरत के बारे में जागरूक करना और स्वच्छता के सन्दर्भ में व्यापक जागरूकता फैलाना है।इस अभियान का उद्देश्य स्वच्छता सुविधाओं का विस्तार करना भी है।सार्वजनिक स्थानों पर पर्याप्त शौचालयों का निर्माण भी इसका हिस्सा है।खुले में शौच से मुक्ति और सर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करना,इसका विशद लक्ष्य है।स्थानीय समुदाय में स्वच्छता के प्रति अच्छी आदतों का निर्माण और स्वस्थ्य रहने के लिए अच्छे व्यवहार जैसे साफ़ सफ़ाई पर ध्यान देना,लोगों को गंदगी न फैलाने की सलाह देना और अपशिष्ट प्रबंधन की आधुनिक व वैज्ञानिक व्यवस्था सुनिश्चित करना शामिल है।
स्वच्छ भारत मिशन में सिर्फ़ शौचालयों का निर्माण ही नहीं होता बल्कि उनके समुचित रखरखाव एवं निरंतर स्वच्छता रखते हुए,उनके इस्तेमाल पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाता है,जिससे लोगों के व्यवहार परिवर्तन पर विशेष ध्यान देकर स्वच्छता को एक जन आंदोलन बनाया जा सके।
लोगो को खुले में शौच से मुक्ति के लिए राज्य व केंद्र सरकार शौचालय निर्माण के लिए 12000/-रुपए का अनुदान देती है,जिसमें 9000/-केन्द्र का अंशदान और 3000/-राज्य सरकारों का अंशदान होता है।इतना ही नहीं भारत सरकार स्वच्छता कार्यक्रम पर टोटल जी डी पी का 6.4%खर्च कर रही है,जिससे लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके।
स्वच्छ भारत मिशन अभियान का जो लाभ लोगों को मिला है उसमें स्वच्छता कवरेज में सुधार हुआ है।लोगों के व्यवहार में परिवर्तन हुआ है।साफ़ सफ़ाई में जागरूकता आई है।इस अभियान का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।आर्थिक विकास में योगदान हुआ है।शहरी और ग्रामीण जीवन के स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार देखने को मिल रहा है।गाँव गिराव में सेप्टिक टैंक वाले शौचालयों पर रोक लगी है,क्योंकि इन प्रकार के शौचालयों से जो ग्रे वाटर निकलता है,वह कई बीमारियों को जन्म देता है,और मच्छरों को पनपने का अवसर देता है।दो गड्ढे वाले जलबंध टाइप के शौचालयों के निर्माण से ऐसी समस्या नहीं उत्पन्न होती क्योंकि जलबंध टाइप के शौचालयों से पानी बाहर नहीं निकलता बल्कि उन्हीं गड्ढों में अवशोषित हो जाता है।
आज स्वच्छता अभियान निश्चित तौर पर एक जन आंदोलन बन चुका है।लोग शौचालय निर्माण हेतु अनुदान प्राप्त करने के लिए लालायित हैं।
लेखक:पूर्व जिला विकास अधिकारी,कई पुस्तकों का प्रणयन कर्ता,मोटिवेशनल स्पीकर,कई राज्य स्तरीय सम्मानों से विभूषित वरिष्ठ साहित्यकार है।ख्यातिलब्ध प्रशिक्षक,कई सामाजिक संस्थाओं का पदाधिकारी,आल इंडिया रेडियो का नियमित वार्ताकार और शिक्षाविद है; जिसके नाम से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के शोध छात्रों को डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा बेस्ट पेपर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है।