संघर्ष से ही सफलता मिलती है : डॉ. सत्य प्रकाश

संघर्ष से ही सफलता मिलती है : डॉ. सत्य प्रकाश

वाराणसी  : 
"एक लाख एक काव्य महाकुम्भ" का कार्यक्रम एक वर्षीय अथवा दो वर्षीय बनेगा इसको लेकर कुछ लोगों के प्रश्न आये थे, जिसके उत्तर में इस विश्व रिकॉर्ड कार्यक्रम के हेतु निम्न प्रश्न-उत्तर प्रदान किये जा रहे हैं। ऐसे प्रश्न उत्तर अब भाग भाग कर के जैसे जैसे कार्यक्रम आगे बढेगा जारी किये जाते रहेंगे। भाग एक प्रश्न-उत्तर निम्नवत हैं।

प्रश्न  1 : यह कार्यक्रम किस मंच के द्वारा और क्यो शुरू किया जा रहा है?

उत्तर : एक लाख एक काव्य महाकुम्भ "काशी meet बनारसिया" महामना मानस संतति सभागार M2S3, डॉ. सत्या होप टॉक के सभी कार्यक्रम अनुज्ञा, कवि के साथ कॉफी, meet B5, सक्सेस मंत्रा, मास्टरी, किड्स लर्निंग विथ पेरेंट्स, सुगृहणी-1000, अग्रणी-1111, अग्रदूत-1111, के साथ साथ देश भर की सभी साहित्यिक संस्थाओं, सामाजिक उपक्रमों, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम से जुड़े हुए विशिष्ट व्यक्तित्वों के संरक्षण में चलाया जाएगा। इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दो दो भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म महोत्सव कार्यक्रम 25,26,27 दिसंबर 2025 को विश्व की आकाश गंगा में हिंदी गीतों का परचम लहराने वाले काशी के काव्य शिरोमणि डॉ. Buddhinath Mishra जी और चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. एस एन शंखवार जी के करकमल द्वारा अन्य मनीषीयों की सह उपस्थिति में महामना सभागार M2S3 जो डॉ. सत्या होप टॉक का नोडल केंद्र काशी में है, उसमें किया जाएगा।

प्रश्न 2: कार्यक्रम का मूल उद्देश्य क्या है? और इसकी जरुरत क्यों पड़ी?

उत्तर: डॉ. सत्या होप टॉक ने महामना मानस संतति सम्मान कार्यक्रम पिछले 8 वर्षों में चलाकर देशभर में अच्छे साहित्य का सृजन करने वाले लोगों को जोड़ा है। ऐसे समस्त रचनाकार जो कोरोना काल में देश को दिशा देने में इस मंच के साथ रहे उनकी संख्या भी हजारों में है। कोरोना समय काल के लॉकडाउन के समाप्त होने की बाद भी, इस मंच ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाकर "महामना महामना मानस संतति" को विशिष्ट बनाने में और नारी शक्ति को सम्मान देने में भरपूर प्रयास किया है। अब "महामना की बगिया" BHU में आकर महामना से सीधा आत्मिक संवाद, काशी की विशेषता को महसूस करना, बाबा विश्वनाथ और माँ गंगा दर्शन की अभिलाषा देश भर के सामान्य और विशिष्ट रचनाकारों को कुछ दिन बनारस में रुकने की प्रेरणा देता रहता है। ऐसी स्थिति में काशी में अधिवास कार्यक्रम की रचना करके सत्या होप टाक ने एक विशाल जन भावना का निर्माण किया है, जिससे काशी में रुकने की अभिलाषा और बनारसीपन को महसूस करने की अभिलाषा का सहज निर्माण हुआ है। ऐसी स्थिति में बनारस के अन्य प्रोजेक्ट को देश भर से परिचित कराने तथा एक बड़े लक्ष्य के साथ देश भर के साहित्यकारों को रिकॉर्ड बनाने मौका देने के लिए इस मंच ने एक महाकुंभ "एक लाख एक" कविताओं को सुनने सुनाने का कार्यक्रम काशी में अगले वर्ष तक लगातार चलाने के लिए निर्णय किया है। "जीवन को रचने वाले साहित्य को सृजन करने की प्रेरणा देने वाला" और "प्रतिदिन कुछ अच्छा काम करने की सीख देने वाला " यह मंच आज अपनी पहचान के साथ संघर्ष कर रहा है। इतने अच्छे कार्यक्रमों को पिछले 8 वर्षों से चलने के बावजूद कोई भी सरकारी मान्यता और मदद इस मंच के कर्ताधर्ता को नहीं मिली है, जबकि इस पक्ष में सभी की राय होती है कि इस मंच ने अनेकों मंचों को भी अच्छा काम करने की प्रेरणा दी है। ऐसी स्थिति में बिना बड़े लक्ष्य के किसी विशिष्ट व्यक्तित्व की निगाह में आना मुश्किल है। देशभर के जुड़े हुए और अभी प्रतीक्षारत साथी इस बात को कई बार सिद्ध कर चुके हैं कि साहित्य के द्वारा समाज का उन्नयन हो सकता है और वे भी इस कार्यक्रम के द्वारा एक संदेश देशभर को देना चाहते हैं। अनेकों सामाजिक आध्यात्मिक और व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी हुई योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए और काशी का गौरव देशभर में बांटने के लिए इस कार्यक्रम की रचना की गई है।

प्रश्न 3: कुछ लोगों का कहना है कि कार्यक्रम आप बनाते हैं और लाभ अन्य मंच लेते हैं? इसके ऊपर आपका क्या कहना है?

उत्तर': कोई भी शिक्षा कार्यक्रम- सामाजिक कार्यक्रम गोपनीयता से संभव ही नहीं है, और आपसी राय बात परामर्श से बेहतर सामाजिक उद्देश्य की प्रतिपूर्ति हो सकती है। सत्या होप टॉक भी अनेकों सामाजिक साहित्यिक मंचों के साथ मिलकर काम करने में विश्वास करता है। अनेकों लोगों को यह भय रहता है, कि इस विशाल कार्यक्रम के साथ जुड़कर अन्य साथियों और मंचों की पहचान कहीं कमजोर न दिखने लगे। इसलिए अब देश भर की संस्थाओं के साथ मिलकर उनके पूरे पहचान और सम्मान के साथ इस महाकुंभ को पूरा करने के लिए सत्या होप टॉक नेतृत्व कर रहा है। साझेदारी बनाने में कहीं कोई दिक्कत नहीं है और जो पूर्व से स्थापित मंच अच्छा कर रहे हैं उनका सम्मान सदा से सत्या होप टॉक के द्वारा किया जाता रहा है। 

प्रश्न 3: इस योजना के साथ जुड़ने के लिए क्या प्रबंध है?

उत्तर: नवोदित और विशिष्ट साहित्यकारों को संग लाने के लिए कोई एक नियमावली नहीं बनाई जा सकती। पिछले आठ वर्षों से सामाजिक और साहित्यिक अभिरुचियों के साथ काम करते हुए यह अनुभव हो चुका है कि हर किसी को एक समीकरण के साथ जोड़ा नहीं जा सकता। बड़े लक्ष्य को पूर्ति करने में जो जिस प्रकार से सहायक होगा उसकी सहायता ली जाएगी। साहित्यकारों को अपना बनाने के लिए, यह मंच सदा से आग्रही रहा है, और इसके अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष  और अन्य पदाधिकारी समाज को जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे जिससे लक्ष्य पूरा करने में और बड़े उद्देश्य को गौरव के साथ समय रहते प्राप्त करने में हम सफल हो सकें।

प्रश्न 4: कोई अपरिचित नवोदित अथवा वरिष्ठ साहित्यकार किस प्रकार से इस मंच के साथ इस योजना में साथ आ सकता है?

उत्तर: संस्था के नंबर 94158 12128  पर जानकारी ली जा सकती है। स्थान और परिचय प्राप्त करने के बाद 26 दिसंबर 2025 के आगे की तिथियों का आवंटन विभिन्न स्थानों से जुड़े हुए लोगों की टोली को दिया जा रहा है। 

एक साथ 30 से 35 लोगों की टोली को इस संस्था के द्वारा काशी में रुकने की भी अपनी व्यवस्था बन रही है। इस प्रकार एक छत के नीचे सारी व्यवस्थाओं को सुचार रूप से चलने के लिए और स्त्री और पुरुष साथियों को काशी में रुकने में, दर्शन पूजा, गंगा स्नान करने में कोई विशेष दिक्कत ना हो, इसके लिए छोटी-छोटी आवश्यकताओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है। 

इस सुविधा का लाभ लेने के लिए निश्चित रूप से एक व्यवस्था का अनुपालन जरूरी होगा परंतु किसी का आर्थिक पहलू इस कार्यक्रम के बड़े लक्ष्य को पाने में आड़े न आए, इस पर ध्यान रखा जा रहा है। यह कार्यक्रम सहभागिता में विश्वास करता है, और निश्चित रूप से अपनी टोली के चुनाव में साथी एक दूसरे के सामर्थ्य और दिक्कत का ध्यान रखते हुए, आपसी सामंजस्य से कार्यक्रम को अच्छा बनाने में एक दूसरे का सहयोग करेंगे।

प्रश्न 5: वैज्ञानिक के रूप में और देश में इतने बड़े मंच के संचालक के रूप में आपका कोई संदेश जो ऊपर बैठे लोगों को जाना चाहिए उसे बताने का कष्ट करें।

उत्तर: जीवन रूपी मंच में जब अवसर मिले तब अपनी क्षमता का भरपूर प्रदर्शन करना ही हर व्यक्ति का लक्ष्य होता है परंतु मंच के अभाव में अपने जीवन को ही मंच बना देना किसी किसी की बूते की बात होती है। भगवान की जिस पर बहुत कृपा होती है, उसी को मेरे जैसा अवसर देते हैं। मैं ऊपर बैठे सभी वरिष्ठ जनों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मुझे ऐसे निर्मित किया कि "मेरा जीवन ही अब मंच हो गया है"। सत्या होप टॉक एक जीवन पद्धति बन चुका है। "हमें किसी से कोई शिकायत नहीं", और सच में यह ही बहुत बड़ी सफलता है।

शेष भाग 2 में

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