मुझे अब नौकरी नहीं, सम्मान चाहिए : डॉ. सत्य प्रकाश
बी एच यू , वाराणसी :
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. सत्य प्रकाश जिन्होंने विश्वविद्यालय की मर्यादा और परंपरा का निर्वहन करते हुए अपने नौकरी और भविष्य के बारे में बहुत ज्यादा चिंता नहीं की बल्कि विश्वविद्यालय की चल रही योजनाओं (ट्राइबल मेडिकल सेंटर) को मूर्त रूप देने में अपने इंटेलेक्चुअल और जिजीविषा का 18 सालों तक त्याग भावना से परिचय दिया, ऐसे व्यक्ति को यदि उसके रिसर्च सेंटर से हटाकर किसी और विभाग में पद दे दिया जाएगा तो इतने वर्षों के त्याग और तपस्या का क्या निहितार्थ होगा। नेशनल फैसिलिटी फॉर ट्राईबल एंड हर्बल मेडिसिन की लड़ाई को अपने दम पर लड़ने वाले डॉक्टर सत्य प्रकाश आज काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक के रूप में पूरे देश भर में शिक्षा और साहित्य का अखंड आंदोलन खड़ा करने के लिए जाने जाते हैं। देश भर के विद्वत समाज के लोग उनको उनके नेतृत्व क्षमता और महामना के प्रति भावना के कारण सम्मान देते हैं। महामना के त्याग बलिदान और देश के प्रति कुछ करने की चिंतन शक्ति को जन जन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने महामना मानस संतति की खोज की है। देशभर के लोगों को कुछ अच्छा करने के लिए ट्रेनिंग दिया है और अब किताबों के प्रकाशन के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक उन लेखकों विचारकों की बात को पहुंचा रहे हैं, जिन्होंने महामना मानस संतति की भावना को अपने अंदर आत्मसात किया है।
ऐसे व्यक्ति को उसके मूल स्वभाव "शोध और सम्मान" को उससे खींच लेना और उस केंद्र को ही जमीदोज कर देना जिससे किसी के नाम, पहचान और कार्य करने की क्षमता का परिचय मिलता हो, यह उसकी हत्या करने के समान होगा।
पत्रकार वार्ता में डॉक्टर सत्य प्रकाश ने स्पष्ट कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थापित इस केंद्र को बचाने के लिए वह उच्च न्यायालय की शरण में हैं और इस लड़ाई को न्याय की लड़ाई मानते हुए इसकी रक्षा के लिए वे समाज से भीख मांग कर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करवाने के लिए तैयार हैं।
यह मामला 2014 से हाईकोर्ट में सुना जा रहा है और जबकि इसका हल काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्तर से ही किया जा सकता है, परंतु दृष्टिकोण के अभाव में केंद्र को समाप्त करने की परिकल्पना पर चल रहा BHU प्रबंधन, इस केंद्र की हानि पर हानि करता जा रहा है।
BHU के ट्राइबल केंद्र जैसी महनीय संस्था के कारण, अपनी पहचान और आत्मविश्वास को पाने वाले वैज्ञानिक डॉ. सत्य प्रकाश अब उसकी रक्षा के लिए हर लड़ाई लड़ने को तत्पर हैं, और उन्हें विश्वास है कि चंद सिक्कों के अभाव के कारण हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वो विफल नहीं होंगे। न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे, उनके अधिवक्ता मित्र और देश के साथी उनकी बात को कोर्ट के संज्ञान में जरूर पहुंचाने में सफल होंगे और इस केंद्र की रक्षा होगी।