विश्व हाथ धुलाई दिवस-15 अक्टूबर 2020 के शुभ अवसर पर रचनाकार सुदर्शन जी के विचार-
हाथों को बार - बार धोना है।
जीवाणु,विषाणु,कीटाणु को जगह शरीर में नही देना है
अपने हाथों को साबुन एवं पानी से बार -बार धोना है
हथेली को आपस में हथेली से, हाथों को पीछे से रगड़ें
अंगुलियों के बीच व् पीछे , अंगूठे के आधार को रगड़ें
नाखूनों को हथेली पर खुरचे यहीं काम हरबार होना है
अपने हाथों को साबुन एवं पानी से बार-बार धोना है
हाथों की साफ-सफाई करना है बेहद सबके लिए जरुरी, स्वतः इसको अंगीकार करें हम सब नही समझे मजबूरी
हाथ धुलाई के विधियों को अपनाये, नही इसको खोना है।
अपने हाथों को साबुन एवं पानी से बार-बार धोना है।
स्वच्छता एकल विधा और सामूहिकता की परिचायक है।
व्यक्ति - व्यक्ति हो जागरूक, ये सबके लिए लाभदायक है।
स्वच्छता से समाज चमकता इससे कीमती नही सोना है।
अपने हाथों को साबुन एवं पानी से बार- बार धोना है।
स्वच्छता का संकल्प लेकर,आओ स्वच्छ समाज बनायें।
स्वच्छ शरीर से स्वस्थ मस्तिष्क, ये सबको हम बतलायें।
समय से पहले हम जो जागें फिर किसी को नही रोना है।
अपने हाथों को साबुन एवं पानी से बार-बार धोना है।
जीवाणु,विषाणु, कीटाणु को जगह शरीर में नही देना है।
अपने हाथों को साबुन एवं पानी से बार- बार धोना है।
रचनाकार-
सुदर्शन सिंह
असिस्टेन्ट प्रोफेसर-शिक्षाशास्त्र विभाग डी0 एस0 एन0 पी0 जी0 कालेज, उन्नाव
- हिन्दुस्तान जनता न्यूज की रिपोर्ट
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