सैनिक की अभिलाषा
भारत माँ की रक्षा करना,
एकमात्र उद्देश्य हमारा ।
हम सैनिक कभी पीछे ना हटे,
जब भी दुश्मन ने ललकारा।
वतन से बढ़कर कुछ भी नहीं,
वतन से ही पहचान हमारी।
जरूरत जब भी वतन को पड़ेगी,
पूर्ण करेंगे जिम्मेदारी।
अपने तिरंगे की रक्षा में,
लहू का समर्पित हर एक क़तरा।
हम सैनिक तैयार हैं प्रतिपल,
दिख जाए जहां जरा भी ख़तरा।
अगले जनम भी सैनिक ही बनूँ,
अब यही मेरी इकलौती आशा।
बनूँ लाडला भारत माता का,
प्राण समर्पण की अभिलाषा।
कवि- चंद्रकांत पांडेय,
मुंबई / महाराष्ट्र,