ता उम्र सी ख्वाहिशें रहीं (कविता)
राहतें आहटें जरा सब्र से रहीं
रहीं तो मगर बेखब्र सी रहीं
ता उम्र सी ख्वाहिशें रहीं
रही तो मगर वे सब्र से रहीं
गुमनाम दिल ए मशहूर सी कहानियां रहीं
रही तो मगर खामोशियां रहीं
बेवजह मुस्कुराने की कमजोरियां रहीं
रही तो मगर खामोशियां रहीं।
- प्रियंका पटेल
(तेदूंखेडा नरसिंहपुर म.प्र )