श्रद्धांजलि (अहमदाबाद हवाई जहाज दुर्घटना)
क्रूर काल के बलिष्ठ हाथ ने,
सैकड़ों को मृत्यु की नींद सुलाया।
पर मासूम,निर्दोष,असामयिक,
मौत का तांडव बहुत रुलाया ।
कुछ के सपने साकार नहीं थे,
बचपन,यौवन भी रहा अधूरा।
भाई,अम्मा, पिता,पति खो गए,
लक्ष्य भी उनका हुआ न पूरा।
एक मिनट में संसार ने देखा,
दुनियां उजड़ी सब सपने खो गए।
स्वस्थ,मस्त,व्यस्त नर,नारी,बच्चे,
चिर निद्रा में पलक झपकते सो गए।
सारी योजना धरी रह गई,
सारी सोच पर पड़ गया पाला।
कौन बच पाया मृत्यु पाश से,
किसके अक्ल पर पड़ गया ताला।
कुदरत का कहर या यांत्रिक कमी,
फिलहाल समझ कुछ भी ना आया।
सभी की दारुण ,दर्दनाक मौत ने,
दुनिया भर का दिल दहलाया।
श्रद्धा के सुमन अर्पित हम सबके,
शांति मिले सभी स्वर्गीय आत्मा को।
सुकोमल,निर्दोष अपनों के बीच रहें,
विनती हमारी जगत पिता परमात्मा को।
कवि- चंद्रकांत पाण्डेय
मुंबई,महाराष्ट्र;