मोहब्बत का रंग अभी जिंदा है यारों, हाथों में जब तक तिरंगा है यारों – श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच
कारगिल विजय दिवस पर वीर शहीदों को किया याद
वर्चुअल कवि सम्मेलन में काव्य मनीषियों ने शहीदों को दी साहित्यिक श्रद्धांजलि
सोनभद्र, उत्तर प्रदेश :
सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था “ श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच“ के बैनर तले शनिवार कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित वर्चुअल कवि सम्मेलन “एक शाम, शहीदों के नाम“ कार्यक्रम में राष्ट्र के विभिन्न प्रांतों से नामचीन कवि और कवयित्रियों ने अपनी अनुपम कृतियों से कारगिल के युद्ध में शहीद उन वीर जवानों को नमन किया जिन्होंने भारत माता के आन बान शान के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। कवि सम्मेलन का विधिवत् शुभारंभ कच्छ गुजरात से शिरकत कर रही संस्था की राष्ट्रीय संरक्षिका डॉ संगीता पाल के वाणी वंदना “माँ शारदे तेरा वंदन होगा, सुखमय सभी का जीवन होगा” से किया गया। मुख्य अतिथि की भूमिका में सीतापुर उत्तर प्रदेश से वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश मौर्य मृदु ने कारगिल में मारे गए अपने वतन के वीर सपूतों को नमन करते हुए कहा कि “ब्रह्मोस का निर्यात करता है मिलाकर आंख अब दुनिया से भारत बात करता है, पटखनी पर पटखनी दे जो उससे घात करता है।” वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सिंगरौली मध्य प्रदेश से वरिष्ठ साहित्यकार उमेश कुमार गुप्त ने वीर गाथा का वर्णन करते हुए एक हृदय स्पर्शी गीत “भारत मां के लाल शहीद, कहां गए ओ लाल हमारे, छोड़के हमको किसके सहारे। देश विराना हो गया प्यारे” सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया।
काव्य पाठ की अगली कड़ी में अलवर राजस्थान से विभा आर्य “ज़ब मैं मरू तब, मेरी दृष्टि उसे दे देना, जिसने कभी सूर्योदय नहीं देखा! मेरा ह्रदय उसे दे देना”, जम्मू से सुषमा देवी “ कारगिल के उच्च शिखरों पर, हमारे वीरों ने लड़ी अपूर्व लड़ाई, जब अपने प्राणों को दांव लगाकर, भारत राष्ट्र को थी विजय दिलाई“, रुड़की उत्तराखंड से ओज कवि किसलय क्रांतिकारी “कारगिल महासंग्राम में जो भी वीर शहीद हुए, ऐसे उन शहीदों के चरणों में प्रणाम है”, अलवर राजस्थान से सीमा कालरा “देखो दुनिया में कैसा अजब हो रहा, झूठ का ये तमाशा गजब हो रहा”, बीना गुप्ता भक्ति रचना, हापुड़ उत्तर प्रदेश से अन्नपूर्णिमा “चोटी पे खड़ा है एक इतिहास, सीना ताने वीर जवान,
हिमगिरि की ऊँचाई पर लिखी गई भारत की पहचान”, रांची झारखंड से करुणा सिंह कल्पना “मोहब्बत का रंग अभी जिंदा है यारों, हाथों में जब तक तिरंगा है यारों“ जौनपुर से राम जतन पाल, सोनभद्र से कृष्ण कुमार साहनी “हरेक धड़कन शहीदों की शहादत पर समर्पित है, शिराओं में दौड़ते रक्त का हर बिंदु अर्पित है“ नेहा कुमारी जम्मू से "छब्बीस जुलाई आई है, शौर्य की ज्योति लाई है'' सुनाकर सभी का दिल जीत लिया।
इस पूरे कार्यक्रम का कुशल संचालन कर रहे से संस्था के राष्ट्रीय सचिव और यूथ आइकॉन कविवर अवध बिहारी अवध, आयोजक और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ विपुल कुमार भवालिया तथा संस्था के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम बिहारी मधुर ने सभी मंचाशीन अतिथियों का हृदय पटल से कोटि–कोटि आभार व्यक्त करते हुए सभी सम्मानित साहित्य मनीषियों को कारगिल विजय दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं प्रेषित किया और कहा कि हमारे राष्ट्र के वीर सपूत लोगों के हृदय में सदा सदा के लिए अविस्मरणीय रहेंगे। राष्ट्र की सुरक्षा और संरक्षा के लिए अपने प्राणों का भी नौछावर करने वाले सभी राष्ट्र प्रहरियों का हम ऋणी रहेंगे।