अनुज्ञा गुल्लक एक सही कदम: ज्योत्सना शर्मा निवेदिता, नई दिल्ली
वाराणसी :
शब्द शब्द से कविता बनती है और पाई पाई से पूंजी"..
कितना सुंदर संयोग है कि जो आप कर रहे हैं उसके लिए आपको प्रोत्साहन भी प्राप्त हो वह भी केवल भावनात्मक ही नहीं आर्थिक भी। मंच से जुड़ाव जिनका पहले से है और जिनका नया तारतम्य जुड़ा है, वे सभी अनुज्ञा गुल्लक के मध्यम से नए- नए सदस्यों को पटल से जोड़कर साहित्य को उन्नत बनाने का कार्य तो करेंगे ही पटल को नया भी आयाम देंगे। लेखन और लेखक समाज उत्थान के अभिन्न अंग है साहित्य का उत्थान बिना समाज के और समाज का उत्थान बिना साहित्य के संभव नहीं। समाज आज जिस गति से दौड़ रहा है वहाँ सोशल मीडिया के दौर में साहित्यकारों का आपस में जुड़ाव भी सरल हो गया है।
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संपादकीय/ अनुज्ञा गुल्लक