श्री कृष्ण-जन्माष्टमी
प्रभु आपके श्री चरणों में,कोटि-कोटि नमन,
श्रेष्ठ जन्म मानव का दिया,उपकार हेतु नमन।
ऋषि-मुनियों के सुखदायक,सृष्टि के उपकारी,
समस्त मानवता के उद्धारक,देव-देवियाँ बलिहारी।
लीलाधर हे कृष्ण कन्हाई,कान्हा तुम जगत नियंता,
जन्म लेकर माता-पिता को,मुक्त कियो भगवंता।
बाल्यावस्था में ही,अनगिनत दुश्मनों का संहार किया,
भयहीन बनाया वसुंधरा को, भक्तों से खूब प्यार किया।
अनेक रूपों में बढ़ा, जब- जब असुरों का अत्याचार,
चक्रधारी प्रभु आपने, सदा किया उनका संहार।
अति प्रसन्न हो कई बार, देवों ने की पुष्प वर्षा,
धरती पापमुक्त हुई, समस्त संसार का मन हर्षा।
हर रूप मोहन आपका मोहक,हरअवतार आह्लादकारी,
एक बार पुनः करें आगमन,हे चक्र सुदर्शनधारी।
आज बढ़ा अवनि पर यशोदानंदन,पाप व दुराचार ,
हे मधुसूदन! यशोदानंदन !सभी भक्तों का हो उद्धार।
कवि- चंद्रकांत पांडेय
मुंबई / महाराष्ट्र