मेरे देश की धरती
यह धरती देवों की धरती,नाम है इसका भारत देश।
देश जगत में कितने सारे,भारत अपना देश विशेष।
सुंदर प्रकृति,सुंदर ऋतुयें,मिट्टी बड़ी सुंदर,उपजाऊ।
राम, लखन जन्म लिए ,जन्म लिए कृष्ण,बलदाऊ।
वीर शिवा,राणा की धरती,धरती झाँसी रानी की।
धरती गौतम,गांधी की शहीद भगत के कुर्बानी की।
सती सावित्री,सीता,राधा के पावन चरणों की माटी।
प्राण लुटाना देश के खातिर, वीरों की है परिपाटी।
कण -कण में त्याग समाया गौरवमय अमर कहानी।
गंगा,गोदावरी सी नदियाँ,जिनका अमृत सा पानी।
देश रक्षक खड़ा हिमालय,लाल यहाँ के सुंदर नेक।
दुश्मनों की चाल न चलती,पूरा देश सर्वदा एक।
अलग-अलग भाषाएँ अपनी, मज़हब दिखें अनेक ।
अलग प्रांतों में होकर,सभी भारतीय बिल्कुल एक।
ऐसी प्यारी,सुंदर धरती पर,मिले जन्म हजारों बार।
देवता अवतार ग्रहण कर,सदा लुटाते अपना प्यार।
कवि- चंद्रकांत पांडेय,
मुंबई (महाराष्ट्र )