कहानी - चतुर चूहा और केक

कहानी - चतुर चूहा और केक
लेखक - डॉ गौहर मसूद 
एक चूहा बहुत देर से उछल कूद मचा रहा था तभी वहां बिल्ली मौसी आई और बोली चूहे राजा ! तुम क्यों इतना परेशान हो और क्या ढूंढ रहे हो ?  चूहा बोला मैं बहुत भूखा हूं। मेरे पास खाने को कुछ भी नहीं है। सोच रहा हूं कि कुछ खाने को मिल जाए तो पेट की आग बुझा सकूं।
    बिल्ली मौसी बोली मेरे साथ चलो, मेरे बच्चों का आज बर्थडे है। मैं तुम्हें बर्थडे में केक खिलाऊंगी वहीं मेरे बच्चों के साथ ख़ूब मस्ती करना। बिल्ली मौसी की मीठी चुपड़ी बातें चूहे को खटक गईं और वह तुरंत एक बिल में घुस गया और वहीं से बोला ना  बिल्ली मौसी ना ! मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊंगा .... कहीं नहीं जाऊंगा वरना तुम मेरा ही केक बना दोगी और मुझे खाकर ही अपने बच्चों का बर्थडे मनाओगी और तुम्हारे बच्चे तालियां बजाएंगे।

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