साथ निभाए मीत वही है
छाया जैसे संग-संग रहकर,
जीवन संगीत बनाए,मीत वही है।
सुख में दुःख में अनवरत पास रह,
साथ निभाए मीत वही है।
पहाड़ सा ऊँचा,लंबा जीवन,
मुश्किल राहों में साथ रहना।
सागर सा गहरा,दुखों का पहरा,
ठंडी बयार बनके बहना।
अच्छे दिनों में सभी साथ देते,
दुःख में जो आए,वही है अपना।
बाँट सके जो, ग़म का अंधेरा,
प्यारा लगे जैसे सुंदर सपना।
कष्टों में मरहम बने हमेशा,
सुखों का साथीदार बनें।
वही मीत बनने के काबिल,
जो धूप-छाँव का भागीदार बनें।
कवि- चंद्रकांत पांडेय,
मुंबई / महाराष्ट्र
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