(कविता)
वीरों की यह धरा रही है,
सेना जिसकी शान है।
हर वासी के दिल में मित्रों,
भारत माँ की आन है।।
सीमाओं की रक्षा करना,
सैनिक का अवदान है।
शौर्य संग अतुलित बल का
अमर रहा बलिदान है ।।
अटल रही है पहरेदारी,
सीमाओं का प्रहरी है ।
हर हमले का दें,जवाब
चोट रही वह गहरी है ।।
उनकी सेवा और समर्पण,
भारत की पहचान है ।
माँ के वे सच्चे सपूत हैं,
हिंद के अमर जवान हैं।।
आतंकी सेना की खाल,
अब उधेड़ कर रख दी है ।
दुश्मन के हर फ़ितरत को
धूल धूसरित कर दी है।।
उनकी वीरता और पराक्रम,
अद्वितीय और महान है ।
भारत माँ के हर सैनिक का,
करते सब सम्मान है।।
अपने देश की सेना की,
मारक क्षमता,अब भारी है।
आतंक को धूल चटाने
सिंदूर,प्रचालन जारी है।।
सेना के साहस शक्ति का,
अमर रही वह गाथा है।
उनकी ऊर्जा बेमिसाल है,
दीपित माँ का माथा है ।।
भारत की सेना पर सबको,
पल पल का अभिमान है ।
उनके कुशल क्षेम की इच्छा
रखता हिन्दुस्थान है।।
सर्जक:डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा
सुन्दरपुर वाराणसी-05