विश्व पर्यावरण दिवस- 5जून
वृक्ष हमारे लगते प्यारे,ये धरती की शान।
वेद,शास्त्र,पुराण करते इनकी महिमा गान।
अधिकांश हमारे देवता,करते वृक्षों में निवास।
साधु,संतों के आश्रयदाता,शांति प्रदायक आवास।
इसमें कमी आज हुई,मानव समाज का नहीं ध्यान।
वर्षा भी अब नहीं पूर्ववत,पृथ्वी तो हो रही वीरान।
शस्यश्यामला अपनी धरती,दिखती आज कहां?
कंक्रीटों के जंगल दिखते,हरियाली थी भरी जहाँ।
पर्यावरण बचा लो,अच्छे स्वास्थ्य का मूल यही।
स्व कृत्य परिष्कृत कर लो,अब हो कोई भूल नहीं।
निर्मल हों नदियां अपनी,सड़कें,बाग,मैदान।
स्वच्छता हो सर्वत्र ,पर्वत,सागर सकल स्थान।
वृक्षारोपण अधिकाधिक हो,रखें हम इनका ध्यान।
ऐसा परिवेश बना दें ,विश्व करे अपना गुणगान।
विश्व पर्यावरण दिवस ,पांच जून उपस्थित आज।
सहयोग देकर बचाएं, विश्व स्वास्थ्य का यही राज।
कवि - चंद्रकांत पांडेय,
केशवपुर, जौनपुर, उत्तरप्रदेश