कुछ तो मज़बूरी होगी : डॉ. रघुनाथ मिश्र सहज

कुछ तो मज़बूरी होगी : डॉ. रघुनाथ मिश्र सहज
         डॉ सत्य प्रकाश 
मित्रों,
आज के ज़माने में कोई भी पढ़ा लिखा आदमी समाज सेवा की आड़ में नाम शोहरत पैसा कमाता है, मगर ऐसे समय में भी पूरे मन से समाज सेवा-शिक्षा सेवा के लिए अखंड कार्य करने वाला चरित्र "डॉ. सत्य प्रकाश" अपने प्रोग्राम "डॉ. सत्या होप टॉक" को कभी भी गैर प्रोफेशनल नहीं बनने दे रहा है और यहाँ पर कार्यक्रम को बल प्रदान करने वाले और कार्यक्रम में सदस्यता सहयोग करने वालों की पूरी जानकारी एक दूसरे को दी जाती है तथा मंच की यह पूरी कोशिश होती है कि इसका पूरा प्रचार किया जाये कि बिना "सदस्यता सहयोग" के यह शिक्षा सेवा का मंच किसी को बार बार मौका नहीं देता। जबकि हर साहित्य से जुड़ा मंच इसके विपरीत निःशुल्क निःशुल्क के नाम पर अपना प्रचार प्रसार कई गुणा तेज गति से कराने में सफल होता जा रहा है। डॉ. सत्या होप टॉक के अतिवादी प्रयोग "रचनाकार से ही सदस्यता सहयोग निर्भरता बनाएंगे" ऐसी सोच के कारण पिछले पांच साल में साहित्य जगत में जितने सहयोगी इस कार्यक्रम के बन सकते थे, उससे ज्यादे इसके आलोचना करने वाले बनते गए हैं। 

आखिर अपनी इतनी मेहनत से की गयी समाज सेवा को यदि डॉ. सत्या होप टॉक निःस्वार्थ भाव से चलाने के बावजूद, एक रचनाकार हेतु इस प्रयोग को समाजसेवी के तौर पर कार्यक्रम में प्रतिभाग लेने वालों के लिए इस कार्यक्रम को नि:शुल्क कर दें, या बहुत ही अल्प सहयोग राशि रख दें, तो निश्चित ही उनके अपने रचनाकार साथी खुश भी होंगे और यह कार्यक्रम बहुत तेजी से अब भारतीय साहित्य समाज को जोड़ने में सफल होगा।
आज के समय में समाज में स्थापित निराशा और कुंठा को दूर करने हेतु यह कार्यक्रम बड़ी उम्मीद की किरण बन जाएगा और आने वाले समय में पढ़ा लिखा हर रचनाधर्मिता से जुड़ा व्यक्ति, अपनी रचना को इस मंच के साथ जोड़कर कुछ आय भी प्राप्त करना और सम्मान की चाहत रखेगा।

यह सच बात है कि आज के समय में साहित्यकार और किसी रचनाकार से ही बड़ा सदस्यता सहयोग लेना एक उलट प्रवाह जैसा प्रयास है, मगर आज तक डॉ. सत्या होप टॉक इस बात को पुख्ता तौर पर बनाए हुए है, जो इस कार्यक्रम के बेहतरीन पक्ष को कमजोर कर रहा है।

कुछ तो मज़बूरी होगी डॉ. सत्य प्रकाश की इसके पीछे अन्यथा कार्यक्रम की इस विसंगति को दूर कर पढ़े लिखे समाज के बीच स्थापित हो चुके उम्मीद की इस किरण को पंख लगते देर नहीं लगती बहरहाल अब इस विसंगति को दूर करने के लिए कार्यक्रम बनाए जाने की उम्मीद है। डॉ. सत्य प्रकाश इस बारे में जल्दी ही डॉ. सत्या होप टॉक मंच का अपना "रचनाकार सहयोगी समाज" का निर्माण करना चाहते हैं, जिससे उन सभी सामाजिक लोगों और रचनाधर्मिता से जुड़े लोगों के बीच में मंच एक कड़ी के रूप में काम करेगा, जिससे ऐसे अच्छे समाज के काम को बढ़ावा देना आसान हो जायेगा। 

"रचनाकार सहयोगी समाज" के माध्यम से अच्छे रचनाकार एवं नवोदित रचनाकार को प्रोत्साहित करने के लिए मानद और सम्मान कार्यक्रम आयोजन भी होंगे और "रचनाकार सहयोगी समाज" के लोगों को भी इस कार्यक्रम में सम्मान स्वरुप पुस्तक में एक "रचनाकार सहयोगी समाज परिचय विवरण" का भाग बनाया जाएगा।

शिक्षा और रचनाधर्मिता से सीधा जुड़ाव "रचनाकार सहयोगी समाज" का होने से आगे चलकर सारा समाज एक होकर बड़े समाज की कुंठा, निराशा का वातावरण कम करने में अपना तन मन धन लगा कर अच्छी रचनाधार्मिता को बढ़ाएगा।

डॉ. सत्या होप टॉक मंच का "सुगृहणी-सम्मान-2025" इसी तरह का एक प्रयास उदाहरण के रूप में समाज के अन्य अन्य लोगों को इस रचनाकार मंच के करीब लाने का एक सफल प्रयोग साबित हुआ है, जो आगे इस रचनाकार सहयोगी समाज के विकास की नींव रख रहा है। "अनुज्ञा गुल्लक महामना मानस संतति सेवा समिति " AG M2S3 के माध्यम से अब साहित्य से जुड़े साथी को एक प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करना शुरू हो गया है।

"महामना अटल मेला 2025" काशी meet बनारसिया भाग 2 में अन्य अन्य सहयोगी समाज को जोड़ने के लिए एक प्रारूप बनेगा और "रचनाकार सहयोगी समाज" के रूप में डॉ. सत्या होप टॉक की एक बानगी समाज को दिखाने की होगी और कोशिश होगी जिससे आने वाले समय में इसके वैश्विक परिणाम समझ में आएंगे।

महामना मानस संतति के रूप में डॉ. सत्या होप टॉक के कार्य को समाज में बड़ी मान्यता मिल चुकी है, परन्तु "रचनाकार सहयोगी समाज" के प्रयोग के द्वारा कार्यक्रम को और सुन्दर बनाने का सारा भार "रचनाकार समाज पर ही नहीं बना रहेगा, जिसके कारण बेहतर प्रचार प्रसार की सुविधा भी अब समाज में अच्छा प्रभाव छोड़ेगी।

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