सुख के साधन दियो, विश्व को,
लियो, धरा अवतार……. विश्वकर्मा प्रभु को,
नमन सहस्त्रों बार।
सकल सृष्टि के कर्ता तुमही,
प्राण शक्ति सबही को दीन्हीं।
पंच महाभूतों को रचकर,
दिया जगत आकार…….विश्वकर्मा प्रभु को,
नमन सहस्त्रों बार।
सब देवों के तुम उपकारी,
कष्ट को हरते यदि हो भारी।
अपने कुल के रक्षा खातिर,
किए दनुज संहार…….विश्वकर्मा प्रभु को,
नमन सहस्त्रों बार।
सब प्राणी के पालन कर्ता,
सबके तुम हो दुख के हरता।
जग के सुख साधन के खातिर,
हुआ तेरा अवतार…….विश्वकर्मा प्रभु को,
नमन सहस्त्रों बार।
तेरी पूजा, सकल गुणकारी,
पूरी करते, अरज हमारी।
अग्र ग्रण्य हो, सब देवों में,
सुख के हो संसार…….विश्वकर्मा प्रभु को,
नमन सहस्त्रों बार।
प्रकृति जीव के तुम खेवइया,
पार करो प्रभु सबकी नइया।
“दयाराम” को शरण में लिजै,
तुम हो सर्जनहार…….विश्वकर्मा प्रभु को,
नमन सहस्त्रों बार।
रचनाकार: विज्ञ दयाराम विश्वकर्मा
सुन्दरपुर वाराणसी-05